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कोरोना का कहर

कुणाल भारती
राजनीतिक एवं सामाजिक विश्लेषक 
कोरोना वायरस का संक्रमण देश में तेजी से फैल रहा है | कोरोना वायरस से निपटने के लिए पूरे देश देश में पूर्ण रूप से 21 दिनों का लॉकडाउन शुरू हो गया है, परंतु बुनियादी आवश्यक वस्तुएं जैसे कि रोजाना की जरूरत में आने वाली खाद्य पदार्थ एवं स्वास्थ विभाग अपनी सेवाएं जारी रखेंगे| स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े के मुताबिक अभी तक कोरोना के सबसे ज्यादा मरीज केरल में पाए गए हैं, जबकि दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है तथा कमोबेश कोरोना के खौफ का साया का वर्तमान में पूरे राष्ट्र में मंडरा रहा है | यह लड़ाई हथियारों की नहीं, धैर्य और धीरज की है | कश्मीर से कन्याकुमारी तथा कच्छ से अहोम तक हर तरफ कोरोना के खतरे से लोगों का मन दुखी है, सभी के भीतर एक अजीब सा डर बैठा हुआ, डर का माहौल बनाया हुआ है, बदसूरत सन्नाटे की आहट हर तरफ फैली हुई है| दुकानें बंद हैं, सड़कें वीरान है, दूसरे शहर में माओ की रातें भयभीत हैं | कोरोना रूपी यह आधुनिक रक्तबीज राक्षस ने वर्तमान हालात द्वितीय विश्व युद्ध से भी ज्यादा गंभीर और खतरनाक बना दिया है | रक्तबीज इसलिए, क्योंकि जो भी करोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है, इस गंभीर बीमारी से अछूता नहीं रह पाता | चीन और यूरोपियन देशों में इसने भयंकर तबाही मचाई है | गौरतलब है कि इसका एक मुख्य वजह यह भी हो सकता है यहां की अधिकांश आबादी 60 वर्ष के ऊपर की है जिनकी रोगक्षम बाकियों से कमजोर होती है तथा उन्हें कोरोना अपना शिकार बना लेता है | बरहाल भारत में ऐसी स्थिति नहीं है, 60% की जनसंख्या का औसतन आयु 50 वर्ष से कम है, परंतु खतरा यहां भी कम नहीं है| यहां मूल स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव है| ऐसा लग रहा है की दुनिया का पहिया थम सा गया है | खैर महज कुछ हफ्ते कैद की बात है उसके बाद कई दिशाओं से जिंदगी में प्रकाश दिखाई देंगे | उम्मीदों के रोशनदान अभी खुले हैं, वक्त है हमें यहूदियों की तजुर्बे को पढ़ने की, जहां उम्मीद का एक कोना दिखता था | सारी दुनिया के लोग इस बीमारी से सबक ले रहे हैं | देश शक्ति और नरमी दोनों का सही इस्तेमाल सीख रहा है |

दुनियाभर में तेजी के साथ फैल रहे घातक कोरोना वायरस ने वैश्विक अर्थव्यस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया है | इसके चलते वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग और आपूर्ति दोनों पर असर पड़ा है | कोरोना का दुनिया के व्यवसायों पर असर साफतौर पर देखा जा सकता है, जहां कंपनियां अपने ऑपरेशंस कम कर रही हैं, कर्मचारियों से यह कहा जा रहा है कि वे घरों से काम करें और उत्पादन के लक्ष्य को कम किया जा रहा है | एशियन डेवलपमेंट बैंक ने मार्च के पहले हफ्ते में जारी प्रेस रिलीज में यह कहा कि कोरोना का विकासशील एशियाई अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर होगा | इसने अनुमान लगाया कि कोरोना से दुनिया की अर्थव्यवस्था को 77 बिलयन डॉलर से 347 बिलयन तक यानि वैश्विक जीडीपी का 0.1 प्रतिशत से 0.4 प्रतिशत तक का नुकसान हो सकता है | इस वायरस से हवाई यात्रा, शेयर बाज़ार, वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं सहित लगभग सभी क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं |

यह वायरस अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है, जबकि इसके कारण चीनी अर्थव्यवस्था पहले से ही मुश्किल स्थिति में है |इन दो अर्थव्यवस्थाओं, जिन्हें वैश्विक आर्थिक इंजन के रूप में जाना जाता है, संपूर्ण वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती तथा आगे जाकर मंदी का कारण बन सकता है | भारत अपने कुल आयातित माल का 18%, इलेक्ट्रॉनिक घटक का 67% एवं उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं का 45% चीन से आयात करता हैं | भारत की अर्थव्यवस्था के लिए झटका लग सकता है। एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने 2020 में भारत की वैश्विक आर्थिक विकास दर के अनुमान को घटाकर 5.2 फीसदी कर दिया है और कहा है कि कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में प्रवेश कर रही है | एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स में एशिया प्रशांत के लिए प्रमुख अर्थशास्त्री शॉन रोशे ने कहा कि चीन में पहली तिमाही में बड़ा झटका, अमेरिका और यूरोप में शटडाउन और स्थानीय विषाणु संक्रमण के कारण एशिया-प्रशांत में बड़ी मंदी पैदा होगी |

संयुक्त राष्ट्र की कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवेलपमेंट (UNCTAD) ने ख़बर दी है कि कोरोना वायरस से प्रभावित दुनिया की 15 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत भी है | चीन में उत्पादन में आई कमी का असर भारत से व्यापार पर भी पड़ा है और इससे भारत की अर्थव्यवस्था को क़रीब 34.8 करोड़ डॉलर तक का नुक़सान उठाना पड़ सकता है | यूरोप के आर्थिक सहयोग और विकास संगठन यानी ओईसीडी ने भी 2020-21 में भारत की अर्थव्यवस्था के विकास की गति का पूर्वानुमान 1.1 प्रतिशत घटा दिया है | मेडिकल स्टोर में दवाओं की कमी हो रही है | तमाम बड़े शहरों में केमिस्ट, सैनिटाइज़र और मास्क के ऑर्डर तो दे रहे हैं लेकिन उन्हें एक हफ़्ते से माल की डिलिवरी नहीं मिल पा रही है |अब जब बहुत से भारतीय अपने यहां दवाएं, सैनिटाइज़र और मास्क जमा कर रहे हैं, तो ये सामान अधिकतम खुदरा मूल्य से भी अधिक दाम पर बिक रहे हैं | थोक ऑनलाइन कारोबार की सबसे बड़ी भारतीय कंपनी ट्रेड इंडिया डॉट कॉम के अनुसार, पिछले तीन महीनों में सैनिटाइज़र और मास्क की मांग में 316 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हो गया है| भारत, जेनेरिक दवाओं का दुनिया भर में सबसे बड़ा सप्लायर है. चीन में उत्पादन बंद होने से भारत ने ऐहतियाती क़दम उठाते हुए कुछ दवाओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है ताकि भारत को अपनी ज़रूरत पूरी करने में कोई कमी न हो| पर्यटन उद्योग पर भारी असर दिख रहा है,होटलों के कमरों की ऑक्यूपैंसी में 20 से 90 प्रतिशत तक की गिरावट आ गई है| कोरोना वायरस की महामारी से दुनिया के पर्यटन उद्योग को क़रीब 22 अरब डॉलर का नुक़सान होगा| 22 मार्च यानी कि जनता कर्फ्यू के दिन सिर्फ दुकानों बंदी से 7 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान का अनुमान लगाया है| आंकड़े के मुताबिक सिर्फ देश की राजधानी दिल्ली में है दुकानों के बंद रहने से प्रतिदिन 500 करोड़ रुपए का नुकसान होगा| अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक कोरोना वायरस के चलते पूरी दुनिया में लगभग 2.5 करोड़ लोग अपनी नौकरी गंवा सकते हैं| पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी जैसे हालात बनते जा रहे हैं और इसी के मद्देनजर UN ने इस बीमारी की वजह से बेरोजगारी फैलने की बात कही है| अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की मानें तो 2020 के अंत तक नौकरीपेशा लोगों को 860 अरब डॉलर से 3,400 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है|

जानकारों की मानें तो इस बेरोजगारी का सबसे बड़ा शिकार अमेरिका बना सकता है। मूडीज की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में लगभग 80 मिलियन लोग अपनी जॉब गंवा सकते हैं, यानि इस बीमारी की वजह से आधा अमेरिका बेरोजगारी की कगार पर है, जिनमें से 27 मिलियन लोगों की नौकरी हाई रिस्क कैटेगरी में आती है| बाकी 52 मिलियन लोगों की नौकरी मॉडरेट रिस्क कैटेगरी और 5 मिलियन लोगों की नौकरी या तो पूरी तरह से छूट जाएगी या फिर वो पार्ट टाइम जॉब में होंगे | बरहाल ग्लोबल बेरोजगारी का असर भारत पर भी पड़ेगा लेकिन कितना पड़ेगा ये नहीं कहा जा सकता है|

वैश्विक महामारी के वक्त में एक जंग चीन और अमरीका के बीच छिड़ गई है, इस जंग में दोनों देशों का बहुत कुछ दांव पर है | अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार कोरोना वायरस को 'चाइनीज वायरस' कह रहे हैं जिससे कोशिश की जा रही है कि बीजिंग को अलग-थलग कर दिया जाए | वही चीन का ऐसा कहना है की यह महामारी अमरीकी मिलिटरी जर्म वॉरफेयर प्रोग्राम के ज़रिए फैली | कोरोना के वजह से हुई वैश्विक घटनाओं के बीच इन दोनों देशों के बीच पर्दे के पीछे एक बड़ी जंग शुरू हो चुकी है | चीन इस मुश्किल के वक्त में दुनिया में एक लीडर के तौर पर खुद को उभारने की कोशिश कर रहा है, हक़ीक़त यह है कि फिलहाल ऐसा लग रहा है कि अमरीका इस जंग में चीन के मुकाबले पिछड़ रहा है| चीन और अमरीका दोनों एक बार फिर से हथियारों की होड़ में जुट गए हैं, दोनों देश भविष्य में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में किसी टकराव के लिए खुद को तैयार करने में जुटे है | फिलहाल, चीन की मदद कोरोना वायरस से लड़ने के लिए बेहद ज़रूरी है | मेडिकल डेटा और अनुभवों को लगातार साझा किए जाने की ज़रूरत है | चीन ने बीमारी को लेकर अपनी सख्त अप्रोच को छिपाने, ग्लोबल लेवल पर इस बीमारी के फैलने में अपनी भूमिका को दबाने, और पश्चिमी देशों और खासतौर पर अमरीका के ख़िलाफ़ अपनी एक बढ़िया इमेज गढ़नी शुरू कर दी है|

वैसे एक संभावना यह भी है की कोरोना वायरस चीन का जैविक हथियार हो और इसे वुहान लैब में विकसित किया जा रहा हो | अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की कुछ रिपोर्ट्स कोरोना वायरस को चीन के जैव हथियार बनाने की कोशिश के तौर पर जोड़ा है | द डेली मेल और द वॉशिंगटन टाइम्स ने रिपोर्ट छापी है कि कोरोना वायरस चीन के जैविक युद्ध प्रोग्राम (बायो वारफेयर प्रोग्राम) का हिस्सा था | एक आर्टिकल में फॉक्स न्यूज़ ने 1980 के दशक में लिखी गई एक किताब का ज़िक्र किया गया जिसने कथित तौर पर कोरोना वायरस का अंदाज़ा लगाया था, यह किताब चीनी सेना की उन लैब के बारे में है जो जैव हथियार बनाती हैं | 31 जनवरी को भारतीय शोधकर्ताओं के एक समूह की रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी | इस रिपोर्ट में कहा गया कि संभव है कि कोरोना वायरस को जानबूझकर पैदा किया गया हो | रिपोर्ट में इस वायरस को चीन के जैविक हथियार होने की आशंका जताई गई थी| इस रिपोर्ट को लेकर काफी विवाद हुआ| विवाद के बाद दो फरवरी को यह रिपोर्ट वापस ले ली गई. कई साइंटिस्ट ने इस रिपोर्ट की आलोचना की और कहा कि इसमें कोई ठोस आधार नहीं है जिसकी बुनियाद पर कहा जा सके कि चीन ने कोरोना को जानबूझकर पैदा किया है | विदेशी मीडिया की मानें तो खबरें दबाने और छुपाने की फितरत के चलते ही चीन ने इस पूरे विषय पर चुप्पी साध रखी थी| जिसकी वजह से ये बीमारी, महामारी में तब्दील हो गई है| चीनी अधिकारियों ने डॉक्टरों और अन्य लोगों को डरा-धमकाकर खामोश रखा| कोरोना वायरस का संक्रमण केंद्र कहे जा रहे हुनान सीफूड मार्केट से थोड़ी ही दूर पर 'वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी नैशनल बायोसेफ्टी लैब' स्थित है जो इबोला, निपाह व अन्य घातक वायरसों पर रिसर्च करती है| साल 2003 में चीन ने सार्स नामक कोरोना वायरस का सामना किया था जिसने दुनिया भर में 700 से ज़्यादा लोगों की जान ली थी। सार्स के मामले में ये पाया गया था कि अगर आप किसी चीज़ या जगह को छूते हैं जहां पर संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से वायरस पहुंचा हो तो आप उस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं |

चीन पूरी दुनिया में अपने खतरनाक वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए जाना जाता है और इसलिए कोरोना वायरस को जैविक हथियार के तौर पर लैब में निर्मित करने की आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता| क्या कोई ऐसा सच है कि जिसे चीन लगातार छुपाने की कोशिश कर रहा है |आखिर चीन में ये महामारी फैलने के पीछे का कारण क्या हैं| यह कहा जा रहा है कि वुहान शहर में जैविक हथियार तैयार करने की गोपनीय परियोजना है | ये तमाम प्रयोगशाला जनसंहार के हथियार विकसित करने का काम करती है | हो सकता है, संभावना है किया सारा खेल बड़ी परियोजना को दर्शा रहा हो| चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना 'वन बेल्ट, वन रोड इनीशिएटिव' का हिस्सा हो शायद यह पूरा परियोजना, कुछ भी कहना अभी असंभव है | पर जो भी हो यह पूरा खेल है तो अर्थव्यवस्था और ग्लोबल लीडरशिप का परंतु विनाश सिर्फ मानवता की होगी ,इंसानियत की होगी |

अगर भारत की तरफ से तैयारियों की बात कही जाए तो भारत सरकार ने कोरोना से बचाव के दृष्टिकोण से कई उपयुक्त कदम उठाएं जैसे की संपूर्ण लॉक डाउन | सरकारी आंकड़े के मुताबिक देशभर में 550 मरीज इससे ग्रसित है | सरकार ने पहले 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की बात कही और उसके बाद वर्तमान में पूरे देश को लोग डाउन कर दिया गया है ताकि इस बीमारी को भारत में स्टेज 3 में पहुंचने से रोका जा सके | निसंदेह केंद्र सरकार द्वारा लिए गए प्रश्न काफी सराहनीय है परंतु कुछ लोग ऐसे भी हैं जो लगातार सरकारी फैसलों की धज्जियां उड़ा रहे हैं तथा आलोचना कर रहे हैं | कुछ का तो ऐसा भी कहना है की जनता कर्फ्यू में 5 बजे जब प्रधानमंत्री ने कोरोना से लड़ रहे जांबाजो की हौसला अफजाई के लिए हिंदुस्तान की जनता से अपील की थी ताली एवं थाली पीट कर उनकी मनोबल को और मजबूत किया जाए परंतु आलोचकों के मुताबिक यह सब उन्हें एक ढोंग दिखाई दे रहा है | यह साफ है कि ऐसा करने से कुछ लीब्रांड महामारी के वक्त भी राजनीति करने से अपने आप को अछूता नहीं रख पा रहे हैं | वह अभी भी वामपंथी और दक्षिणपंथी राजनीति के ध्रुवीकरण करने को बेचैन है | उनके मुताबिक यह मोदी भक्ति हैं, पागलपंती है | पर असल में बात तो ऐसा है की कि जो भी आलोचक हैं यह ऐसे लोग हैं जिन की मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति थोड़ी गड़बड़ कहे या कमजोर कहे | इन कमजोर मानसिकता वाले क लोगों को हर चीज में राजनीति दिखाई देती है और मूल रूप से यह सारे लोग मौकापरस्त होते हैं | ध्यान रहे अभी ना ही कोई राजनीतिक विचारधारा जीतेगी ना ही कोई दल जीतेगा, स्थिति ऐसी है कि सिर्फ भारत हारेगा, सिर्फ विनाश होगा |

वैसे भी यह महामारी हिंदुस्तान के लिए यह कोई नई बात नहीं है ,हमने यह हालात पहले भी देखे हैं चाहे वह बंगाल का अकाल हो या फिर 19वीं शताब्दी में हुई कॉलरा से महामारी | हम इस दुख और कष्ट को भलीभांति समझते हैं, इसलिए कोरोना से लड़ने के लिए हम भारतीयों के पास जिगरा भी हैं और करुणा भी है | हमें इस मार्च के महीने में फैसला करना होगा एकांत के अभ्यास का और समाज के विश्वास का | कुछ दिन घर में रहिए जहां आपके अपने रहते हैं, जहां जीवन को सुकून मिलता हो | इसी बहाने फुर्सत से तो जी लीजिए क्या पता यह घड़ी कल आए या ना आए | डर है तो हो पर नफरत ना हो, कैद है तो रहे पर अकेलापन ना हो, शक है तो हो पर स्वार्थ की जगह ना हो | बीमारी है तो होगी अपनी जगह पर आत्मा बीमार ना हो आत्मा का परमात्मा से मिलन कराएं | ध्यान रखें साफ रहे सुरक्षित रहें, किसी का हाथ छूना नहीं है पर किसी का साथ छोड़ना भी नहीं है | इससे बड़ी सी बड़ी लड़ाइयां जीती जा चुकी है और जीती जा सकती हैं |

Comments

  1. महामारी में अर्थव्यवस्था का अच्छा विश्लेषण किया है आपने।

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