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Showing posts from September, 2020

किसान सम्बंधित संसोधन अधिनियम और राजनीति

सुजीत कुमार (अर्थशास्त्री एवम बैंकर)   अफवाहों और धूर्त राजनीतिकारों से बचें। किसानों को उनके हाल पे छोड़ देने की राज नीति से बुरा कुतर्क कुछ नहीं हैं । इसलिए उन्हें इस बदहाली से निकालने के लिए सरकार को प्रयत्न करना पड़ेगा। और इसी प्रयत्न की कड़ी में आज भारतीय संसद ने किसानों से संबंधित दो विधयेक पारित किए। मोदी सरकार की किसानों को यह सबसे बड़ी भेंट है। अपने देश मे किसानों की बदहाली का किस्सा किसी से छुपा नहीं है। हालांकि खबर तभी बनती है जब वो जीवन से हार कर आत्महत्या कर ले। विडम्बना देखिये। उपज के दूगनी होने के बाद भी किसानों की आय आधी हो जाती है। क्यूंकी किसान अपनी उपज का समुचित भंडारण नहीं कर पाता, उसे कटाई के तुरंत बाद बिचोलियों के हाथ बेचने की मजबूरी है।  तत्कालीन APMC कानून पाँव की बेड़ियाँ थी। कृषक उत्पाद को निकट मंडी में हीं बिकना है, भले ही वहां पहले से ही बोरियां भरी पड़ी हो। नतीजा, कौड़ियों के भाव बेचिए नहीं तो घर पे रख सड़ने दीजिए। सरकार घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तो बड़े किसानों और आढ़तियों के लिए वरदान रहा। आखिर उनका उत्पाद तो प्राथमिकता से बिक जाएगा। राजनीतिक रसूख