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Showing posts from December, 2019

नागरिकता संशोधन कानून और उसका राजनीतिकरण

कुणाल भारती   (राजनीतिक एवं सामजिक विश्लेषक) 2019 साल खत्म होने को है, नए साल के स्वागत के लिए हम सभी कई विभिन्न योजनाएँ बना रखे हैं तथा शीतलहर दस्तक दे चुकी है। पूरे देश में कड़ाके की ठंड पड़ रही है, खासकर उत्तर भारत का क्षेत्र ठंड की चपेट में है। देश की राजधानी दिल्ली में तो पारा 08 डिग्री से भी नीचे गिर चुका है, पर इन दिनों सियासी पारा परवान चढ़ा हुआ है। एक तरफ ठंड से बचने के लिए लोग गर्म कपड़े और अलाव का प्रयोग कर रहे हैं, वही इन दिनों विपक्ष का पूरा ध्यान हाल ही में संसद से पारित हुए नए नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करते हुए बीत रहा है। विपक्ष संसद से लेकर सड़क तक नए नागरिकता कानून का विरोध कर रहा है, भारत के अल्पसंख्यकों को ग़लत जानकारी देकर (N.R.C का जुमलेबाजी) अराजकता जैसी स्थिति बनाई जा रही है तथा उन्हें भ्रमित किया जा रहा है। वैसे भी विपक्ष आजकल इतनी ज़्यादा हताशा झेल रही है कि उन्हें बस किसी भी मुद्दा का सहारा चाहिए जिससे यह हारे हुए लोग अपनी राजनीति चमका सके। सही कहें तो यह वही बात हुई कि 'डूबते हुए को तिनके का सहारा चाहिए'। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव