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Showing posts from August, 2020

प्रवासी मजदूर - आगमन से प्रस्थान तक

कौशलेंद्र दुबे (अभियंता) जब पूरा भारत 10 मार्च को होली का रंग और गुलाल उड़ा रहा था तब चीन से चल कर कोरोना महामारी भारत में दस्तक दे चूका था। रंगो के उल्लास में भारत के लोगों ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि कोरोना महामारी भारत को इस कदर जकड़ लेगा। उस समय तो वित्तीय वर्ष अपने समापन के तरफ बढ़ रहा था और देश के सारे औद्योगिक घराने अपने बचे हुए काम इसी वित्तीय वर्ष में खत्म करने और साथ में नए वित्तीय वर्ष के रूप-रेखा के संरचना में व्यस्त थे। देश के सारे औद्योगिक घरानो के लोग और साथ में काम करने वाले कामगार निश्चिंत होकर बिना किसी डर भय के अपने घरों से दूर देश के कोने कोने में भारत के अर्थवयवस्था को मजबूत बनाने में दिन रात एक किये हुए थे। हालांकि इटली से कोरोना संक्रमण और उससे उन्होंने वाले मौत की जो तस्वीर निकल के आ रही थी, उससे संक्रमण की गम्भीरता का पता चल रहा था, परन्तु तब भी देश में इस संक्रमण को ले कर कोई खास सजगता नहीं दिख रही थी। लेकिन २२ मार्च को हमारे प्रधानमंत्री जी के द्वारा एक दिवसीय जनता कर्फ्यू की घोषणा के बाद कोरोना की गंभीरता को लोगो के द्वारा महसूस किया गया। सामाचार पत्रों और इलेक

क्या जाति की जकड़न से मुक्त होगा बिहार चुनाव

कुणाल भारती राजनीतक विश्लेषक इतिहास इस बात की गवाह है कि बिहार लोकतंत्र की जननी है। स्वतंत्रता संग्राम या फिर उसके बाद यानी कि पिछले 7 दशकों में बिहार राजनीति का केंद्र रहा है एवं देश के राजनीतिक बदलाव में अहम भूमिका निभाता रहा है। इस देश में आजादी के बाद जो दो बड़ी आंदोलन हुई उसकी शुरुआत बिहार की धरती से ही हुई चाहे वह 1975 का जेपी आंदोलन हो या 90 के दशक का मंडल आंदोलन। 1975 में जे.पी के नेतृत्व में छात्र आंदोलन की शुरुआत हुई और उस आंदोलन ने तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार को चुनौती दी तथा बाद में वह आंदोलन आपातकाल विरोधी आंदोलन में तब्दील हो गई। जबकि 1990 के दशक में बिहार मंडल समर्थक और मंडल विरोधी आंदोलन के केंद्र में था। आजादी के पूर्व महात्मा गांधी ने भारत में 1917 में अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत अंग्रेजो के खिलाफ बिहार के चंपारण से की थी जब उन्होंने किसान हित की बात करते हुए अंग्रेजों द्वारा जबरदस्ती थोपी गई तीन कठिया व्यवस्था का विरोध किया।  मंडल-दौर के बाद देश के उत्तरी राज्यों में जिस तरह की राजनीतिक लड़ाई और राजनीतिक प्रतिनिधित्व की शुरुआत हुई उसकी गहरी जड़ें बिहार में ही थीं। द