साथियों, २०२० के चुनाव में आपने राजद पार्टी के उम्मीदवार फतेह बहादुर कुशवाहा को आशीर्वाद दिया और वो लोकतंत्र के मंदिर में विधायक के रूप में अपना योगदान दे रहे हैं। जिस प्रकार देश की संसद भारतीय लोकतंत्र का मंदिर है, बिहार विधानसभा भी बिहार के सभी निवासियों के लिए पवित्र मंदिर है और हो भी क्यूँ न, लोकतंत्र की जननी भी तो बिहार की गौरवशाली धरती ही हैं जहां लिच्छवि और वैशाली गणतंत्र मानव सभ्यता को लोकतांत्रिक व्यवस्था का सफल संचालन कर के विश्व के राजतंत्र व्यवस्था के सामने आदर्श प्रस्तुत कर रहे थे।
अब मंदिर की गरिमा होती है और लोकतांत्रिक मंदिर की गरिमा को बनाये रखने की ज़िम्मेदारी सबसे पहले तो वहाँ निर्वाचित सदस्यों पर होती है। अगर सदस्य इस कर्तव्य का निर्वहन करने में असफल रहते हैं तो फिर ये ज़िम्मेदारी समाज को अपने हाथों में लेनी होती है।
आज ये पत्र लिखने का आशय ये हैं कि आपके विधायक ने सनातन संस्कृति, सभ्यता व हिंदू धर्म में विद्या की देवी के रूप में प्रतिष्ठित माँ सरस्वती के लिए जिस घिनौने शब्द का प्रयोग करते हुए अपमानित करने का घृणित कार्य किया है, उससे संपूर्ण विश्व में रहने वाले १०० करोड़ से भी अधिक हिंदुओं की आस्था पर चोट पहुँची है। मुझे आशा है कि डेहरी का एक एक बच्चा जब अपने जीवन में पहली बार स्लेट और पेंसिल छूता है तो माता-पिता मुख्यतः सरस्वती पूजा का दिन ही इस शुभ कार्य को रखते हैं। यह हिंदुओं की आस्था ही है कि इस दिन विद्या की शुरुवात करने से माँ सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होगा। विद्या ही मनुष्य को जानवर से अलग करती है।
राजद विधायक ने इसी आस्था पर कुठाराघात किया है। क्या इन्हें पता नहीं कि जिस विद्यालय में सरस्वती पूजा होती है, उसी विद्यालय में सावित्री बाई फुले के बारे में भी पढ़ाया जाता है । भारतीय संस्कृति या सनातन धर्म कभी भी एक व्यक्ति को पूजने की शिक्षा नहीं देता, बल्कि सभी सुपात्र को पूजने और सम्मानित करने की शिक्षा देता है। भारत के लोग मध्यममार्गी हैं जहां हर अच्छे विचार को समर्थन मिलता है और हर बुरे विचार को तिरस्कारित किया जाता है। ये विधायक महोदय का वक्तव्य बस और बस राजनीतिक रूप से सनातन प्रेमियों व हिंदू धर्म को अपमानित करने के दृष्टिकोण से दिया हुआ है।
राजद विधायकों ने तो मानो सनातन धर्म को अपमानित करने का ठेका ले लिया है। इसी पार्टी के शिक्षा मंत्री का रामचरितमानस का अपमान किसी से छुपा हुआ नहीं है। इनकी पार्टी के मुखिया के परिवार में तो भोलेनाथ के दरबार देवघर में पूजा करने जाते हैं, तिरूपति दर्शन के लिए अपना बाल दान करते हैं, कृष्ण भगवान की नगरी मथुरा और वृंदावन में पूजा करने जाते हैं। परंतु, इनके ही विधायक हिंदू देवी देवताओं का नित्य नये तरीक़े से अपमान करते हुए सनातनी लोगों के आस्था का उपहास बनाता है। और जब इन विधायकों पर कोई कार्रवाई नहीं होती तो इसका दो अर्थ निकलता है। एक, ये विधायक राजद के नियंत्रण से बाहर है। या दूसरा, राजद नेतृत्व दोहरा चरित्र रखते हुए ख़ुद को वोट की राजनीति के लिए हिंदू धर्मावलम्बी दिखाता है किंतु, अपने विधायकों के माध्यम से हिंदुओं को अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता।
सीएसआरए संस्था के रूप में हमने ये पत्र लिखने का निर्णय इसलिए किया है क्योंकि इन विधायकों के इस प्रकार घृणित वक्तव्यों के कारण बिहार और बिहारियों का अपमान देश और विश्व के कोने कोने में हो रहा है। पाँच सौ वर्षों के बाद विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता जब सनातन संस्कृति के सबसे बड़े नायक मर्यादापुरोषोत्तम श्रीराम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी कर रहा है, वैसे में भगवान श्रीराम से जुड़ी बिहार की धरती, जिसमें डेहरी से नज़दीक बक्सर और माँ सीता की जन्मस्थली मिथिलाधाम जैसी जगहें है, से इस प्रकार का अपमान अशोभनीय ही नहीं बल्कि, घृणित कार्य है। सीएसआरए एक शोध संस्थान है जिसका उद्देश्य बिहार की क्षेत्रीय आकांक्षाओं को देश-विदेश के बौद्धिक वर्ग के साथ मिलकर शिखर पर पहुँचाना है। परंतु, इन जैसे विधायकों के वक्तव्यों के कारण देश-विदेश के बौद्धिक संस्थान में कार्यरत लोग बिहार की क्षेत्रीय आकांक्षा व अस्मिता के लिए कोई भी गंभीर प्रयास करने से मना कर देते हैं।
अतः आप सभी डेहरी मतदाताओं से ये निवेदन हैं कि आप इस अपमान और बिहार के विकास में कंटक खड़ा करने का हिसाब किताब अपने विधायक और उनकी पार्टी से करें। जब तक इस अपमान के लिए इनपर धार्मिक भावनाएँ भड़काने के एवज़ में इन्हें गिरफ़्तार करके जेल न भेजा जाये, आप ये निम्नलिखित लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपना सकते हैं।
इन्हें अब किसी भी सार्वजनिक या निजी कार्यक्रम में सम्मानित होने का अवसर न दे। जो आपकी भावनाओं का सम्मान नहीं कर सकता, उसे आपका सम्मान पाने का कोई हक़ नहीं।
इनके सभी कार्यक्रमों का सार्वजनिक बहिष्कार करें।
इनके पार्टी के किसी भी पदाधिकारी को तब तक कोई मंच न दें जब तक पार्टी इनसे आधिकारिक दूरी न बना ले।
हर गाँव में इनका पुतला दहन करे।
चुनाव में इन्हें वोट न देने का शपथ ग्रहण कार्यक्रम हर गाँव में करें।
आइये, हम सौगंध ले कि हम अपने सामाजिक गंदगी को साफ़ करने के लिए अपने व्यक्तिगत हित को दरकिनार करते हुए एक सभ्य व सर्वधर्म संभाव समाज के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हो।
सीएसआरए
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