नए युग के इंजीनियरिंग छात्रों का नया विकल्प
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ई० कुणाल भारती |
लेखक:- ई० कुणाल भारती
समाज सेवा कोई फुलटाइम काम थोड़ी है। आम धारणा है कि समाज सेवा को पार्टटाइम आधार पर किया जाता है। आज समाज सेवा एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जिसमें कॉरपोरेट और अनेक बहुराष्ट्रीय एनजीओ भी भारत में अपनी पहचान बनाने के लिए सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के आधार पर पैसा लगा रहे हैं। इसका एक उदाहरण है अजीम प्रेमजी द्वारा अपनी निजी आय में से 9000 करोड़ रुपए दान किया जाना, जिसका इस्तेमाल प्रेमजी फाउंडेशन शिक्षा और ग्राम सुधार के लिए कर रही है।
इसके अलावा, इंडियन ऑयल, यूनीलिवर, नेस्ले, एनटीपीसी, एलएंडटी आदि कंपनियों के कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी विभाग हैं। वह अपनी परियोजनाओं के लिए एमएसडब्ल्यू (मास्टर इन सोशल वर्क) को रखते हैं।
यहां तक कि बहुराष्ट्रीय संस्थाएं जैसे यूनेस्को, यूनिसेफ और अन्य संस्थाएं भी समाज सेवा पृष्ठभूमि वाले लोगों को रखती हैं। पर हाल ही के दिनों में इसमें एक नया बदलाव देखने को मिला है। व्यावसायिक पाठ्यक्रम के छात्रों से ज्यादा अब ज्यादा प्रोफेशनल कोर्स के छात्रों का झुकाव क्षेत्र में देखा जा सकता है खास करके इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि के छात्रों का शायद इसकी वजह पिछले दो दशक में भारत में आए सामाजिक एवं आर्थिक बदलाव हो सकता है। हाल के वर्षों में सोशल वर्क का पेशा विश्वव्यापी तौर पर बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। एक समय था, जब समाज कल्याण का काम पूरी तरह नि:स्वार्थ भावना पर ही आधारित था, लेकिन आज के संदर्भ में यह एक अहम प्रोफेशन का रूप ले चुका है। इस क्षेत्र में इंटर्नशिप में विद्यार्थियों को अनुभव पत्र मिलता है। जो कि छात्रों के भविष्य के कैरियर के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण हो सकता है। पर इसके विपरीत अगर व्यवस्थाओं को गंभीरता पूर्वक देखा जाए तो यह कहना गलत नहीं होगा जिस प्रकार बेरोजगारी की वजह से इंजीनियरिंग छात्रों में असंतोष बढ़ रहा है, अभी शायद एक मूल कारण हो सकता है छात्रों को समाज सेवा के पथ पर आगे बढ़ने के लिए।
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समाज सेवा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय और सरकारी संस्थान और बड़े एनजीओ जैसे क्राई, एसओएस चिल्ड्रंस विलेजेज ऑफ इंडिया और हैल्पएज भी काम करते हैं, जो बाल सुधार, महिलाओं और श्रम अधिकारों के क्षेत्र में काम करते हैं। समाज सेवा को सबसे अधिक संतोषप्रद कार्यक्षेत्रों में भी माना जाता है। इसमें अपनी जैसी सोच वाले व्यक्तियों के साथ मिल कर राष्ट्र निर्माण के क्षेत्र में कार्य कर सकते हैं। यही नहीं, समाजसेवा करने वाले व्यक्तियों को सरकारी योजना निर्माण में भी मदद के लिए बुलाया जाता है।इस क्षेत्र में जॉब मार्केट बहुआयामी है। किसी बड़ी कंपनी के सीएसआर विभाग में काम करने पर आप 30,000 से 70,000 रुपए तक कमा सकते हैं। यदि आप किसी आईडीआरसी या किसी एक्शन एड में काम करते हैं तो भी वेतनमान अच्छा होता है, जो समय के साथ-साथ बढ़ता है। एक्शन एड का सलाहकार एक लाख रुपए प्रतिमाह तक कमा सकता है। लेकिन ऐसे जॉब्स कम और बेहद प्रतिस्पर्धात्मक होते हैं। अनेक एनजीओ भी 15,000 से 25,000 रुपए तक देते हैं। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि व्यक्ति ने किस संस्थान से शिक्षा प्राप्त की है और उसे कार्य का कितना अनुभव है। टीआईएसएस शीर्ष इंस्टीटय़ूट्स में से है और वहां से श्रेष्ठतम नौकरियां मिलती हैं।
किसी बी या सी श्रेणी इंस्टीटय़ूट से शिक्षा प्राप्ति पर भी 10,000 रुपए शुरुआती वेतन पर काम मिल जाता है। इसलिए यदि छात्र किसी अच्छे संस्थान से एमएसडब्ल्यू (मास्टर्स इन सोशल वर्क) किया है तो यह किसी बी श्रेणी संस्थान से एमबीए करने से बेहतर होगा। लिहाजा, बीएसडब्ल्यू या समाजविज्ञान या मनोविज्ञान में शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं, जिसके बाद एमएसडब्ल्यू करके इस करियर में अपनी शुरुआत कर सकते हैं। निजी और सरकारी विभाग भी सोशल वर्क डिग्री को तरजीह देते हैं। बेशक यह एक विकास कर रहा क्षेत्र है और इसमें युवाओं के लिए रोजगार के अनेक अवसर मौजूद हैं।
Impressive ... Congrats dear
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