शिशु रंजन आर्थिक, राजनितिक और सामाजिक विश्लेषक |
प्रश्न: संसद के 2020 के मानसून सत्र में में कृषि क्षेत्र से सम्बंधित कितने विधेयक पारित किए गए हैं?
उत्तर: कुल तीन विधेयक पारित किए गए हैं जिनके नाम क्रमशः इस प्रकार है –
· आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020
· कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020
· कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020
प्रश्न: आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 में क्या बदलाव किए गए हैं और इसके क्या फ़ायदे हैं?
उत्तर: इस विधेयक के अंतर्गत मुख्यतः किए गए महत्वपूर्ण बदलाव निम्नलिखित हैं:
· अनाज, दाल, आलू, प्याज, तेलहन और तेल जैसे खाद्य पदार्थों के ऊपर से स्टॉक करने की सीमा को हटा दिया गया है, जिससे इसके किसान और व्यापारियों को सरकारी अफ़सरशाही तंत्र के द्वारा तंग नहीं किया जा सके। अधिक उपज होने पर किसान या व्यापारी इसका भंडारण कर पाएँगे और अपने फसल को औने-पौने मूल्य पर बेचने को विवश नहीं होंगे।
· इन खाद्य पदार्थों के व्यापार पर अब असाधारण परिस्थितियों में ही नियंत्रित किया जाएगा जो इनमे से कोई एक हो सकती है
- युद्ध
- अकाल
- गंभीर प्रकृति की प्राकृतिक आपदा
- असाधारण कीमत वृद्धि
प्रश्न: क्या इस बदलाव से जमाख़ोरी और महंगाई नहीं बढ़ेगी?
उत्तर: नहीं, क्यूँकि अगर जमाख़ोरी होगी और इन खाध पदार्थों के मूल्यों में बढ़ोतरी होगी, तो इसके व्यापार को नियंत्रित करने का अधिकार सरकार के पास सुरक्षित हैं। सरकार निम्नलिखित परिस्तिथियों में इसका उपयोग करेगी:
· हॉर्टिकल्चर उत्पादों के मूल्य में 100% वृधि
· नष्ट होने वाले कृषि उत्पादों के मूल्य में 50% की वृधि
यह मूल्य वृधि पिछले 12 महीने के मूल्य या फिर पिछले 5 वर्ष के औसत मूल्य (दोनो में से जो सबसे कम हो) से मापी जाएगी।
प्रश्न: क्या इस बदलाव से कोई और अतिरिक्त फ़ायदा होगा?
उत्तर: जी हाँ, इस बदलाव से खाध-प्रसंस्करण इकाइयाँ को बढ़ावा मिलेगा। निर्यातक को भी बढ़ावा मिलेगा। इन दोनों प्रकार के वर्ग के लिए उनकी क्षमता अनुरूप भंडारण का विकल्प होगा जिससे उनके लिए व्यावसायिक अनिश्चितता कम होगी और इसका लाभ इन्हें उपजाने वाले किसानों को भी मिलेगा। किसान को कमीशनखोरी और बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी। मंडी में अपने उत्पाद को लाने के बाद तरह तरह के घोषित और अघोषित कमीशन देना पड़ता था जिससे किसानों की आय और कम हो जाती थी। अब इससे मुक्ति मिलेगी।
प्रश्न: कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 में क्या बदलाव किए गए हैं और इसके क्या फ़ायदे हैं?
उत्तर: इस विधेयक के अंतर्गत मुख्यतः किए गए महत्वपूर्ण बदलाव निम्नलिखित हैं:
· किसान या कृषि उत्पाद के व्यापारी के पास अब कृषि उत्पादों को बेचने के लिए ज़्यादा विकल्प। सरकार और मंडी के अलावा देश भर के बाज़ार या सीधे उपभोक्ता को बेचने का विकल्प जिससे माँग बढ़ेगी और किसानों को अधिक मूल्य मिल पाएगा।
· कृषि व्यापार में इलैक्ट्रानिक रजिस्ट्रेशन प्रणाली एवम इ-भुगतान प्रणाली को बढ़ावा। इससे व्यापार में पारदर्शिता बढ़ेगी और बिचौलियों की भूमिका पर लगाम लगेगा।
· किसानों को अविलम्ब भुगतान (बिक्री के दिन या तीन दिन के भीतर), जिससे किसानों की पूँजी न फँसे और उनके पास उनके उत्पाद के एवज़ में नक़दी मिल जाए। अभी किसानों को बिचौलिये कई सप्ताह या महीनों तक टहलाते रहते हैं। ख़रीद की रसीद तो व्यापार के दिन ही किसान को देनी होगी।
प्रश्न: भुगतान सम्बन्धी विवाद का निपटारा कैसे होगा?
उत्तर: इसके लिए एक वृहद् परंतु सरल व्यवस्था बनायी गयी है जिसमें अनुमंडल पदाधिकारी एक 5 सदस्य तक की एक समिति बना सकते हैं और उस समीति में दोनों पक्षों के 2-2 सदस्य रह सकते हैं। फ़ैसले से असंतुष्ट पक्ष को अपील में जाने का अधिकार होगा जिसके नियम बनाए जा चुके हैं।
प्रश्न: क्या इस बदलाव से कोई और अतिरिक्त फ़ायदा होगा?
उत्तर: जी हाँ, इस बदलाव से कई प्रकार के लाभ मिलेंगे। प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
· नए निजी कृषि मंडी स्थापित किए जा सकेंगे जो सरकारी मंडियों से प्रतिस्पर्धा करेंगे और उसका लाभ किसान को उनके उत्पादों की बढ़ी माँग के रूप में मिलेगा, जिससे उनके उत्पादों का अच्छा मूल्य मिलेगा और इससे किसानों की आय बढ़ेगी।
· कृषि मंडी के नियम सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडो के अनुरूप होंगे जिससे किसान और व्यापारियों का दोहन न हो सके
· इ-मंडी और डिजिटल माध्यम के इस्तेमाल से व्यापार में पारदर्शिता आएगी, किसान और कृषि व्यापारियों को देश भर की मंडियों के रेट पता रहेंगे जिससे उनके पास बहुत सारे विकल्प होंगे। अगर पड़ोसी ज़िले में किसान को अधिक लाभ मिल रहा है तो भला अपने गृह ज़िले में किसान कम मुनाफ़े का सौदा क्यू करे?
· कृषि सूचना तंत्र का विकास होगा। किसान और कृषि व्यापारी देश भर के माँग-आपूर्ति तंत्र का हिस्सा बनेंगे जिससे उनको ज्ञान लाभ होगा।
· बेहतर भंडारण, पैकेजिंग, और प्रसंस्करण तकनीक के साथ निजी निवेश आएगा जिससे कृषि अवसंरचना का वृहद् विकास होगा।
प्रश्न: क्या सरकारी मंडी या न्यूनतम समर्थन मूल्य का प्रावधान समाप्त हो जाएगा?
उत्तर: जी नहीं, इस बदलाव से ना तो सरकारी मंडी समाप्त हो रही है और न ही न्यूनतम समर्थन मूल्य। सरकार खाद्य उत्पादों को समर्थन मूल्य पर ख़रीदता रहेगा जिससे किसान पूर्ववत रूप से लाभान्वित होते रहेंगे। यह विधेयक तो नए निजी मंडी खोलने की अथवा अपने उत्पाद को किसी भी मंडी, व्यक्ति या समूह को बेचने की स्वतंत्रता देती है। अब जब किसान को सरकारी मंडी में ही ज़्यादा मूल्य मिलेगा वो भला निजी मंडी में क्यूँ बेचेगा। इसलिए निजी मंडियों के आने से खाद्य उत्पादों का मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य से सम्भवतः अधिक ही रहेगा।
प्रश्न: कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 में क्या बदलाव किए गए हैं और इसके क्या फ़ायदे हैं?
उत्तर: इस विधेयक के अंतर्गत मुख्यतः किए गए महत्वपूर्ण बदलाव निम्नलिखित हैं:
· लिखित अनुबंध के आधार पर किसानों के लिए खेती की सुविधा। कोई कृषक किसी भी कृषि उत्पाद के संबंध में लिखित कृषि करार कर सकता है जिसमें ऐसे उत्पाद की पूर्ति का समय, गुणवत्ता, श्रेणी, मानक, कीमत और कृषि सेवा प्रदान करने के मामले सुनिस्चित रहेंगे।
· कृषि सेवाएं प्रदान करने के लिए किसी भी अनुबंधित अपेक्षा पालन का उत्तरदायित्व प्रायोजक या कृषि सेवा प्रदाता का होगा। इससे किसानों की परेशानी और लागत मूल्य, दोनो कम होगी।
· कृषि करार की न्यूनतम अवधि एक फसल अवधि के लिए या पशु प्रजनन के एक जनन चक्र के लिए होगी और अधिकतम अवधि पाँच वर्ष होगी। परंतु जहां किसी कृषि उत्पादन चक्र पाँच वर्ष से अधिक हो सकता है ऐसी दशा में कृषि करार की अधिकतम अवधि किसान और प्रायोजक द्वारा पारस्परिक रूप से तय की जा सकेगी और कृषि करार में स्पष्ट रूप से उल्लिखित की जा सकेगी ताकी वैसे फ़सल के किसान भाइयों-बहनों को समस्या न झेलनी पड़े। इससे किसानों की आय नियमित होने के साथ साथ जमींन भी सुरक्षित रहेगी।
· किसानों की सहायता के लिए केंद्र सरकार आदर्श अनुबंध का दस्तावेज उपलब्ध करवाएगी।
· कृषक को सर्वोत्तम मूल्य सुनिश्चित करने के लिए तय कीमत से ऊपर बोनस या प्रीमियम तरह अन्य प्रकार के मूल्य भी शामिल किए जा सकेंगे। यह किसानों की आय में और इज़ाफ़ा करेगा। ऐसे कीमत को एपीएमसी यार्ड या इलेक्ट्रानिक व्यापार और भुगतान प्लेटफार्म या किसी अन्य उपयुक्त बैंचमार्क कीमतों से जोड़ा जा सकेगा।
· अनुबंधित कृषि मे खेत से उत्पाद को बाज़ार तक ले जाने की मूल ज़िम्मेदारी संस्थाओं की होगी। अगर किसान संस्थाओं तक उत्पाद पहुँचाएँगे, उसके लिए संस्थाओं को अलग से क़ीमत चुकाने का प्रावधान हैं। साथ ही साथ संस्थाओं को इस मद में अन्य प्रकार की सहायता किसान को देनी पड़ेगी।
· अनुबंध करने वाली संस्था कृषि उत्पाद को स्वीकार करते समय भुगतान करेगा और विक्रय उत्पादों के ब्यौरे सहित प्राप्ति पर्ची जारी करेगा। जहां कृषि करार बीज उत्पादन से संबंधित है वहां सहमत रकम के कम से कम दो तिहाई का भुगतान ख़रीदगि के समय करेगा और शेष रकम प्रमाणीकरण के पश्चात् तीस दिन के अंदर होगा।
· अनुबंधित खेती में खेत हर हाल मे किसान के पास ही रहेंगे। खेत में खड़ा किए गए किसी भी प्रकार का ढाँचा या तो संस्थाओं को अनुबंध समाप्त होने के पहले गिराने होंगे, अन्यथा अनुबंध समाप्ति के बाद उसका मालिकाना हक़ किसान का होगा। यह किसानों के मूलभूत हित को ध्यान में रखते हुए बनाया गया हैं।
· केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार या किसी वित्तीय सेवा प्रदाता की किसी स्कीम के अधीन बीमा के साथ जोड़ा जा सकेगा।
प्रश्न: अनुबंध सम्बन्धी विवाद का निपटारा कैसे होगा?
उत्तर: इसके लिए एक वृहद् परंतु सरल व्यवस्था बनायी गयी है जिसमें सुलह बोर्ड बनायी जाएगी जो विवाद का निपटारा 30 दिन में करना अनिवार्य होगा। फ़ैसले से असंतुष्ट पक्ष को अपील में जाने का अधिकार होगा जिसके नियम बनाए जा चुके हैं।
प्रश्न: क्या इस बदलाव से कोई और अतिरिक्त फ़ायदा होगा?
उत्तर: जी हाँ, इस बदलाव से कई प्रकार के लाभ मिलेंगे। प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
· देश में किसान अपना एफ़पीओ बना कर उत्पादन से कर बाज़ार तक में अपनी सहभागिता सुनिश्चहित कर पाएँगे।
· पहले से तय उत्पाद मूल्य क़ीमतों मे घटोतरि से होने वाले नुक़सान से किसान को सुरक्षित रखेंगे। किसानों की आय स्थिर होगी।
· इन सुधारों के लागू होने के बाद देश और विदेश में भारतीय कृषि व्यापार का बढ़ना सुनिश्चहित हैं, जिसका सीधा लाभ किसानों को उचित मूल्यों के रूप में मिलेगा।
· नए उत्पादन तकनीक की जानकारी और उपयोग करने का मौक़ा देश के हर भाग के किसानो को मिलेगा, कृषि उत्पाद माल ढुलाई और प्रबंधन में नए और उन्नत तकनीक का प्रयोग होगा, भंडारण क्षमता में वृधि के लिए नए कोल्डस्टोर और गोदाम खुलेंगे, नए खाद्य-प्रसंस्करण इकाइयाँ खुलेगी, रोज़गार बढ़ेगा, किसानो की आय बढ़ेगी, ग्रामीण क्षेत्र की आय और अवसंरचना बढ़ेगी, और देश कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की राह में आगे बढ़ेगा।
प्रश्न: अगर कृषि क़ानून संसोधन विधेयक इतना अच्छा है तो इसका विरोध क्यूँ हो रहा है?
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