शिशु रंजन (आर्थिक और राजनितिक विश्लेषक) एवं अजित झा (अर्थशास्त्र सह-प्राध्यापक - ISID ) भारतीय सभ्यता और संस्कृति में "नारी" शब्द अपने आप में एक सम्मानजनक भाव भर देता है और यह भाव उनके द्वारा किये गए त्याग, ममत्व, प्रेम, और शक्ति से आता है। इस सनातन संस्कृति ने इसीलिए नारी को लक्ष्मी और सरस्वती के अलावा शक्ति के रूप में भी पूजित किया है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति का सच्चा पुजारी वो है जो हर क्षण महिलाओ के योगदान को नमन करे। आजादी के पश्चात संविधान निर्माताओं ने भी भारतीय सभ्यता के इस मूलमंत्र को ध्यान में रखते हुए महिलाओ को बराबर का अधिकार दिया, जबकि विश्व के अनेकों विकसित देशों की महिलाओं उससे वंचित थी। परन्तु, यह भी एक कटु सत्य है की विश्व में अनेक स्थानों पर आज भी महिलाओ की बराबर की भागीदारी नहीं मिलती है। वर्तमान भारतीय समाज भी इससे अछूता नही हैं। इसीलिए सम्पूर्ण विश्व में इस विषय पर चेतना जागृत करने के लिए ८ मार्च को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। भारत ने भी इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया है। चुकी मोदी नेतृत्व वाली सरकार अपने चरणकाळ के बिलकुल अंतिम